हम चिड़ीया हैं... आज यहाँ, कल वहाँ

हम चिड़ीया हैं... आज यहाँ, कल वहाँ


हम चिड़ीया हैं, आज यहाँ, कल वहाँ,

जहाँ दिल चाहे, उड़ते जाएं हवा।

मन में बसते हैं सपने नये,

हर दिशा में, हर जगह, नये रास्ते।


पंख फैला कर आसमान को छूते,

सपनों के रंगों में खोते,

हर पल एक नई कहानी लिखते,

हम चिड़ीया हैं, कभी नहीं रुकते।


घर तो बस एक ठहराव सा है,

हमारी मंजिलें और भी दूर हैं।

आज जहाँ हैं, कल वहाँ होंगे,

हम चिड़ीया हैं, खुली उड़ान में।


हम चिड़ीया हैं, खुले आकाश में,

हर पल नये रास्तों पर विश्वास में।

कभी यहाँ, कभी वहाँ उड़ जाते,

जिंदगी के हर मोड़ पर खुद को पाते।


सपनों की लहरें, पंखों में सजी,

मन की उचाईयों में कोई बंधन नहीं।

नदी की धारों की तरह हम बहते,

हर ठहराव को पार कर हम बढ़ते।


एक जगह नहीं, हम कहीं भी हों,

अपने सपनों के साथ हमेशा चलते हों।

हम चिड़ीया हैं, कभी ना थमते,

सभी राहों को अपनी बना लेते।






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