समय, समझ और समझौते - एक सच्ची कहानी

आज मैं एक मोची के पास अपने बैग की चैन बनवाने गया। मैंने उनसे कहा, "इसी चैन को बना दो और इसे मत बदलो।" मोची ने कहा, "यह बैग की चैन नहीं बन सकती क्योंकि यह खराब हो गई है और इसे बदलना पड़ेगा। मैं एक नई चैन लगा देता हूँ।"

मैंने कहा, "मुझे यही बैग की चैन बहुत पसंद है और मुझे इससे बहुत लगाव है, मैं इसे नहीं बदलना चाहता।" उस मोची ने मुझे एक बहुत अच्छी बात कही, "समय के साथ बदलना पड़ता है और वक्त के साथ समझौता करना पड़ता है।"

फिर वह बैग बनाने लगा और मैं गहरी सोच में पड़ गया। फिर मैंने मोची से पूछा कि उसकी बात का क्या मतलब है। उसने कहा, "अगर एक पेड़ अकड़कर खड़ा रहेगा तो हवा से टूट जाएगा, लेकिन अगर वही पेड़ झुक जाएगा तो वह हवा के बाद भी उम्र भर खड़ा रहेगा।" मैंने उसकी सरल बात समझकर मन ही मन सोचा कि यह सच है कि समझदारी इस में है कि हम समय के साथ बदलें, समझें और जब जरूरत हो, तो समझौता भी करें। फिर मैंने अपना बैग बनवाया, मुस्कुराया और घर की ओर चल पड़ा।




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